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बच्चों में कुपोषण मिटाने के लिए पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है सितंबर

बच्चों में कुपोषण मिटाने के लिए पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है सितंबर


-कुपोषण छोड़ पोषण की ओर- थामें क्षेत्रीय भोजन की डोर की थीम पर मनाया जा रहा पोषण माह,

मधेपुरा, 2 सितंबर। जिले के बच्चों में कुपोषण मिटाने के लिए आई सी डी एस द्वारा सितम्बर माह को पोषण माह के तौर पर मनाया जा रहा है। पोषण माह के दौरान (6 वर्ष से कम आयु के) बच्चों के लिए ऊंचाई और वजन माप के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। गर्भवती महिलाओं के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध पौष्टिक भोजन की जानकारी को सामने लाने के लिए वृक्षारोपण, भोजन पकाने की विधि की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।  30 सितम्बर तक चलाये जाने वाले राष्ट्रीय पोषण माह में पोषण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं में आवश्यक सुधार करते हुए पोषण को बढ़ावा देना एवं पोषण अभियान को सामुदायिक स्तर पर जन-जन तक पहुँचाने के लिए जन आंदोलन का रूप देना है।
कुपोषण छोड़ पोषण की ओर-थामें क्षेत्रीय भोजन की डोर- 

आई सी डी एस के जिला  प्रोग्राम पदाधिकारी मो. कबीर ने बताया इस वर्ष मनाये जा रहे पोषण माह का थीम ''कुपोषण छोड़ पोषण की ओर-थामें क्षेत्रीय भोजन की डोर'' रहेगा। जिसके तहत 1 से 15 सितम्बर तक आंगनबाड़ी सेविका, आशा एवं ए.एन.एम. के संयुक्त समन्वय से विशेष अभियान संचालित कर आंगनबाड़ी केन्द्र के पोषक क्षेत्र के सभी शून्य से 6 साल तक के बच्चों का वजन, ऊँचाई/ लंबाई की माप लिया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। ताकि बच्चों के पोषण स्तर यथा- समान्य कुपोषित एवं अतिकुपोषित की जानकारी मिल सके। जारी दिशा-निर्देश के अनुसार जिले में चलाया जा रहा पोषण माह का अयोजन कोविड- 19 नियामों को अपनाते हुए सम्पन्न किया जाना है। 

जन्म के बाद शिशु के पोषण के लिए जरूरी -

जिला पोषण समन्वयक अंशु कुमारी कहती हैं कि जन्म के बाद छह माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए। मां के दूध में मौजूद पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को ना सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते तथा पाचन क्रिया भी मजबूत करते हैं। छह माह के बाद बच्चे के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें।
मां का दूध सर्वोत्तम आहार, ठोस आहार देता है मजबूती
जिले में पोषण माह में मां के दूध के साथ पोषण भरे आहार के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि छह माह के बाद शिशु को मां के दूध के अलावा ठोस और ऊपरी आहार देना शुरू कर देना चाहिए। इस दौरान शुरू किया गया बेहतर पोषण आहार शिशु को स्वस्थ, मजबूत और खुशहाल बनाता है। इस वक्त मां और अभिभावक को सावधानी से यह फैसला लेना होता है कि उन्हें अपने शिशु के लिए कैसा ठोस खाद्य पदार्थ देना शुरू करना चाहिए, जो उसके पाचन शक्ति और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखें।

पोषण अभियान की  डैश बोर्ड पर की जानी है इन्ट्री-

जिला पोषण समन्वयक अंशु कुमारी ने कहा 15 सितम्बर तक समन्वय स्थापित कर चलाये गये अभियान से प्राप्त पोषण स्तर की जानकारी एंटी पोषण ट्रैकर एवं पोषण अभियान डैश बोर्ड www.poshanabhiyaan.gov.in पर निश्चित रूप से संधारित किया जाना है। इसके लिए केन्द्रीय स्तर पर 17 मंत्रालयों और राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर 14 विभागों के लिए उपयोगकर्त्ता खाते बनाए गये हैं। जो पोषण अभियान का हिस्सा हैं। इन्हें प्रत्येक मंत्रालय और प्रत्येक राज्य के साथ अलग-अलग साझा किया गया है । पहचान में आसानी सुनिश्चित करने के लिए डैशबोर्ड के उपयोगकर्त्ता का नाम बनाने के लिए एक समान प्रारूप का पालन किया गया है।



    सहरसा से बलराम कुमार शर्मा की रिपोर्ट

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