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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान: गर्भवतियों की हुई प्रसव पूर्व जांच

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान: गर्भवतियों की हुई  प्रसव पूर्व जांच


-गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ्य जीवन प्रदान करने के लिए सरकार कटिबद्ध
-नियमित जांच से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावनाएं कम

सहरसा, 9 अक्टूबर। प्रत्येक माह की 9 वीं तारीख को जिले में पूर्व माह की भांति इस माह भी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया गया। जिसके तहत पूर्व के चिह्नित एवं नयी गर्भवतियों की प्रसव पूर्व देखभाल सुनिश्चित किये जाने के सरकार की पहल पर जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व सभी प्रकार की आवश्यक जांच कार्य सम्पन्न किया गया है। स्वास्थ्य विभाग लगातार मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाते हुए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच करते हुए इस बात को सुनिश्चित करना चाहती है कि इनका प्रसव सामान्य होने पाये। यदि किसी प्रकार की परेशानी है तो उसे समय रहते दूर करने के उपाय गर्भवतियों को प्रदान की जाय। जिससे मातृ-शिशु मृत्यु दर कम होने पाये।
गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ्य जीवन प्रदान करने के लिए सरकार कटिबद्ध-
सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने बताया आम तौर पर जब एक महिला गर्भवती होती है तो वह विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे रक्तचाप, शुगर और हार्मोनल रोगों से ग्रस्त हो जाती हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सभी गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छे स्वास्थ्य और स्वतंत्र जांच प्रदान करने के साथ स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के माध्यम से सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए एक स्वस्थ्य जीवन प्रदान करने, मातृत्व मृत्यु दर को कम करने, गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों अथवा रोगों के बारे में जागरूक करने, बच्चे के स्वस्थ जीवन और सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है।

नियमित जांच से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावनाऐं कम-
सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने कहा प्रधानमंत्री सुरक्षिम मातृत्व अभियान के तहत जब गर्भ तीन से छह महीने का हो तो महिलाऐं सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्रों पर नियमित जांच के लिए सम्पर्क कर सकती हैं। जहां उन्हें इस अभियान से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध करायी जाती है। नियमित जांच से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावनाऐं कम होती हैं। गर्भवती महिलाएं, खासकर आर्थिक तौर पर कमजोर तबके की महिलाएं आम तौर पर कुपोषित होती हैं उन्हें गर्भधारण के दौरान पोषक तत्व भी नहीं मिल पाते हैं। इसका नतीजा अक्सर यह होता है कि बच्चे किसी न किसी विकार के साथ पैदा होते हैं। साथ ही कुपोषिण से पीड़ित होते हैं। गर्भवती महिलाओं की समय-समय पर निगरानी की जाए तो नवजात शिशुओं में आने वाली में आने वाली कर्इ विकारों को दूर किया जा सकता है। गरीबी और जागरूकता नहीं होने से कमजोर तबकों की ज्यादातर महिलाए समय पर चिकित्सीय सलाह और देख-रेख का लाभ नहीं उठाती। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जाना है कि सभी गर्भवती महिलाओं की हर महीने की नौ तारीख को मुफ्त चिकित्सीय जांच हो।



सहरसा से बलराम कुमार शर्मा की रिपोर्ट

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