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महाविद्यालय परिवार की ओर से प्रधानाचार्य के सम्मान का आयोजन किया गया ।



समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर में बड़े हर्ष और उल्लास का दिन रहा। आज  प्रधानाचार्य के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में महाविद्यालय परिवार की ओर से प्रधानाचार्य के सम्मान का आयोजन किया गया ।
इस कार्यक्रम का आरम्भ दीपप्रज्ज्वलित व संस्कृत के प्राध्यापक जयचन्द झा के नेतृत्व में स्वागतगान द्वारा हुआ तत्पश्चात् माननीय प्रधानाचार्य महोदय को पाग माला व शाल्यर्पण द्वारा सम्मानित किया गया।सम्मान कार्यक्रम के पश्चात प्रधानाचार्य की इस वर्ष की कार्य उपलब्धि पर प्रकाशित लघु विवरणिका का विमोचन समवेत महाविद्यालय परिवार द्वारा किया गया।तत्पश्चात माननीय प्रधानाचार्य ने महाविद्यालय के भावी भविष्य की रूपरेखा खिंचते हुए कहा कि मैं स्वप्नदर्शी नहीं वरन् कर्तव्य पथिक हूँ 

ऐसे मौक़े पर मुझ पर चरितार्थ होता हुआ एक शेर याद आ गया,”जब से चला हूँ मंजिल पे नजर है,इन आँखों ने मील का पत्थर नही देखा”मेरी दृष्टि में हर संस्था का जीवन भविष्य में होता है,जिसकी नींव वर्तमान में रखी जाती है और वही कोशिश और प्रतिबद्धता के साथ कुछ इस संस्था से जुड़ी योजनाएँ आप सबसे साझा करना चाहता हूँ,मेरी सबसे पहली प्राथमिकता इस महाविद्यालय की नैक में अच्छी ग्रेडिंग लाना है,दूसरी प्राथमिकता हर विभाग में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों के आयोजन से है।साथ ही महाविद्यालय में ऐसे शैक्षणिक माहौल की नींव रखना मेरा ध्येय है जो समसामयिक हो मसलन क्लॉस को स्मार्ट क्लॉस में तब्दील करना,महाविद्यालय परिसर की क्रियाविधि को पेपरलेस करना,पूछताछ डेस्क को और भी तकनीकी दक्षता प्रदान करना,छात्र छात्राओं के शारीरिकव मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का अधिकाधिक आयोजन करना,छात्र छात्राओं के सामाजिक संस्कृतिक विकास के लिए अधिकाधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।महाविद्यालय परिसर को स्वच्छ व सुरक्षित तथा सौंदर्यात्मक दृष्टि से उत्तम बनाने का मेरा प्रयास रहेगा।महाविद्यालय की आधारिक संरचना का उत्तरोत्तर विकास मेरी अहम प्राथमिकता है।अब यदि मैं अधिक  विस्तार करूँ तो आप सभी हमे स्वप्नजीवी मान लेंगे इसलिए मेरा मानना है आप मेरे कृतित्व द्वारा ही मेरा अग्रिम मूल्याँकन करें।आप सभी ने अपना बहुमूल्य समय दिया और धैर्य पूर्वक मुझे सुना मैं आप सभी का शुक्रगुजार हूँ।इसके बाद स्वागत कथन हुआ और वक्ताओं की झड़ी लग गयी हर वक्ता माननीय प्रधानाचर्य के सानिध्य में गुज़ारे अपने अनुभव साझा करने लगा जिसका लबोलुआब यही रहा कि आज की तिथि को इस महाविद्यालय में  उस प्रधानाचार्य डॉ. सत्येन कुमार का आगमन हुआ जिनके विषय में यह मुहावरा “होनहार बिरवान के होत चीकने पात” सही ही चरितार्थ हुआ।जहाँ एक तरफ इस महाविद्यालय में स्थापना दिवस मनाने की परिपाटी रही हो, वहीं डॉ. सत्येन कुमार ने स्थापना दिवस को अपनी परम्परा के अनुशीलन से जोड़ते हुए ,एक भव्य और सुन्दर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के पखवाड़े में तब्दील कर दिया। साथ ही  कुछ नामचीन भूतपूर्व शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित कर महाविद्यालय के गौरवान्वित अतीत की वापसी की। यह क्षण नयनाभिराम का क्षण बन महाविद्यालय के इतिहास में दर्ज हो गया।यह एक ऐसा आगाज़ रहा जिसने उसी क्षण हमारे महाविद्यालय के प्रधानाचार्य की दूरदर्शी कार्यप्रणाली को सबके समक्ष ला दिया। आप इसी महाविद्यालय के दर्शन विभाग के वरिष्ठ व लोकप्रिय प्राध्यापक  रहे हैं। आपकी छवि में अपने विषय की गहरी छाप भी रही है। ऐसे सन्दर्भ में हमे पाश्चात्य जगत के महान दार्शनिक प्लेटो के वक्तव्य की याद आ जाती है,”राजा दार्शनिक हो तो ही राज्य के लिए बेहतर होता है।" 

यह बात हमारे प्रधानाचार्य पर भी लागू होती है।उन्होंने दार्शनिक दूरदर्शिता से महाविद्यालय के स्वर्णिम भविष्य की रूपरेखा बनायी और उसको क्रियान्वित करने के लिए एक आधारिक संरचना का निर्माण करते हुए अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में सबसे पहले पुस्तकालय का नवीनीकरण किया, छात्र अध्ययन कक्ष का निर्माण कराया, छात्र हित को ध्यान में रखते हुए पूछ-ताछ डेस्क की स्थापना की, गर्ल कॉमन रूम का नवीनीकरण किया, छात्र-छात्राओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायामशाला की स्थापना की, पीने वाले पानी के साथ शौचालय आदि का नवीनीकरण कराया। परिसर की स्वच्छता आदि पर विशेष ध्यान दिया साथ ही अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन करते हुए शैक्षणिक गतिविधियों को तीव्र किया,जिसमें प्रत्येक विभागों में समय समय पर संगोष्ठियों के आयोजनों को प्रोत्साहित किया तर उनका कुशल नेतृत्व कर महाविद्यालय में पढ़ने पढ़ाने का सुन्दर माहौल निर्मित कर उन अतीत के दिनों की याद ताजा कर दिया, जिससे इस महाविद्यालय की कीर्ति देश देशान्तर तक व्याप्त थी। 
एक कुशल प्रशासक की सबसे बड़ी विशेषता उसकी गुण ग्राह्यता होती है। माननीय प्रधानाचार्य में यह कूट कूट कर भरी है। इन्होंने प्रतिभा के अनुरूप सभी प्राध्यापकों को महाविद्यालय के विविध सेलों में नियुक्त कर एक ऐसी टीम का निर्माण किया जो अपने कार्यों की दक्षता से सभी असम्भव कार्यों को सम्भव बना रही है।चाहे वह महाविद्यालय से सम्बन्धित हो या नैक ग्रेडिंग से सम्बन्धित।आपके इसी अवधि में आपने विश्वविद्यालयी एथलेटिक मीट प्रतिस्पर्धा का कुशलतापूर्वक आयोजन कर महाविद्यालय का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किया है। वहीं एन सी सी का दस दिवसीय प्रशिक्षण कैम्प जो अनुशासन व कुशलता से सम्पन्न हुआ जिससे सैकड़ो प्रशिक्षु लाभान्वित हुए,यह प्रशिक्षण भी बिना आपके सम्भव नहीं हो पाता। आप स्वयं एक समर्पित व अनुशासित कैडेट रहे हैं जिसकी छवि इस प्रशिक्षण में आद्योपांत दिखी।माननीय प्रधानाचार्य की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि रोजगार सृजन के क्षेत्र में दिखी। महाविद्यालय परिसर में आपके नेतृत्व में रोजगार जागरूकता का अभियान चलाया गया और रोजगार शिविर का आयोजन भी किया गया जिसमें महिंद्रा ट्रेक्टर्स ने लगभग बारह प्रतिभागियों का चयन भी किया।जो हमारे माननीय प्रधानाचार्य की दूरदर्शिता व कुशल नेतृत्व का परिणाम रहा।इस प्रकार माननीय प्रधानाचार्य का यह एक वर्ष का कार्यकाल अविस्मरणीय कार्यकाल रहा जिसमें अनवरत शैक्षणिक माहौल के साथ क्रीड़ा प्रतिस्पर्धा व सांस्कृतिक बयार बहती रही।माननीय प्रधानाचार्य की इस कार्यावधि ने वह आगाज़ रच दिया है जिससे आने वाले समय में महाविद्यालय के अतीत के गौरव को पुनः एक सुनहरा अध्याय मिलेगा।धन्यवाद ज्ञापन श्री राज देव राय  ने किया और मंचसंचालन डॉ रोहित प्रकाश जी ने किया। इस  कार्यक्रम में डाक्टर दुर्गेश राय, श्री अशोक कुमार, डाक्टर अनिल कुमार सिंह,श्री शशि शेखर यादव, श्री विकास कुमार, श्री प्रमोद कुमार राय डॉक्टर सफवान सफी इन्होने समारोह को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार शामिल रहा।


                अर्णव आर्या

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