अनुकरणीय
आए_थे_बिहार_आईपीएस_बन_कर_अब_बन_गए_हैं_किसान
बिहार के डीजीपी रहे एसके भारद्वाज सेवानिवृत्ति के बाद बिहार में किसान बन गए है. कभी अपने खेतों में गेहूं उपजा रहे हैं तो कभी मुंग तो कभी हल्दी तो कभी धान व अन्य फसलें सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और इन दिनों अपने कृषि कार्यों से संबंधित तस्वीरों को ज्यादा पोस्ट करते हैं. एक पुलिस अधिकारी के रूप में भी काफी ज्यादा लोकप्रिय थे अब किसान बन कर बिहार के किसानों के लिए प्रेरक बन गए है. अपने खेतों में खुद यह मेहनत भी करते हैं खूब पसीना बहाते हैं लहलहाती फसलों के साथ अपनी सेल्फी भी पोस्ट करते हैं.कहते हैं गुरुग्राम के रहने वाले एसके भारद्वाज ने बिहार के पुलिस महकमे में सबसे बड़े ओहदे पर पहुंच कर सेवानिवृत होने के बाद पेंशन पर जिंदगी काटने की जगह किसान का जीवन अपना लिया।
वह राजधानी पटना के नजदीक ही गांव पैनाठी में अपने खरीदे खेत के साथ ही अपने दोस्त की जमीन पर भी खेती करते हैं। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में मैनपावर की सभी जगह कमी है। इसे देखते हुए उन्होंने इस बार रीपर बाइंडर मशीन से आठ एकड़ में उगाई गेहूं की फसल की खुद ही कटाई कर ली।मूल रूप से गुरुग्राम जिले के गांव सिरहौल निवासी व बिहार में डीजी के पद से सेवानिवृत्त एसके भारद्वाज की मां व परिवार के कई सदस्य गुरुग्राम के लक्ष्मी गार्डन में रहते हैं। मौका मिलने पर वह परिवार से मिलने आते रहते हैं। गुरुग्राम के सेक्टर-14 में रह रहे परिवार के सदस्य व जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज बताते हैं कि वह बड़े भाई एसके भारद्वाज की फेसबुक पोस्ट को शेयर करते रहते हैं। उन्हें गर्व होता है कि पुलिस महानिदेशक जैसे पद से सेवानिवृत होने के बाद वह एक आम किसान की तरह खेतों में काम करते हैं।
यह देश के उन किसानों के लिए प्रेरणा का विषय है जो हर कार्य के लिए श्रमिकों पर निर्भर हैं। एसके भारद्वाज परिवार के लिए भी पूरा समय निकालते हैं। सोशल मीडिया पर भी हिट है एसके भारद्वाज इन दिनों खेतों में लगे धान की फसल हल्दी फसल की तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं इनकी पत्नी साधना भारद्वाज पटना की एक प्रतिष्ठित विद्यालय में प्रिंसिपल रह चुके हैं वह भी भी सोशल रूप से काफी एक्टिव रहती हैं.
सहरसा से बलराम कुमार
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें