सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कहानी यादों की आईने में प्रेम का झरना


सुकुमार को बाल्यावस्था से ही साहित्य संस्कृति और कला से प्रेम का भाव विरासत में अपने पिता से प्राप्त हुआ है और आधुनिक संस्कारों के प्रभाव में वह दिल्ली में अपनी पढ़ाई - लिखाई के दौरान तब आया जब  से अंजू से उसकी दोस्ती हुई और और वह उसके फ्लैट पर आने - जाने लगी । 

उन दिनों सही मायनों में उसका कालेज आना - जाना भी छूट चुका था और नोयडा में किसी कंपनी में इंजीनियर के रूप में वह काम करने लगा था और एक  - दो दोस्तों को छोड़कर कालेज के सारे संगी साथियों का साथ भी तकरीबन खत्म हो चुका था। उन्हीं दिनों अंजू से उसकी मुलाकात यहां हुई थी और वह उसके कालेज में कंप्यूटर एप्लिकेशन की छात्रा थी लेकिन यहां सुकुमार की अंजू से कभी कोई बातचीत नहीं हुई थी क्योंकि वह इस कालेज में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और अमूमन दूसरे डिपार्टमेंट के लोगों से उसकी कोई बातचीत नहीं होती थी लेकिन दो तीन साल बीत जाने के बावजूद उस दिन नोयडा के उस रेस्तरां में अंजू ने उसे पहचान लिया था और थोड़े संकोच से ही लेकिन उसके टेबल
के पास आकर अंजू ने उससे पूछा था कि क्या आप गुड़गांव के
इंजीनियरिंग कॉलेज में कभी पढ़ाई किया करते थे और फिर उसने अपने बारे में उसे बताया था कि वह भी दूसरे डिपार्टमेंट में वहां पढ़ती थी और उसे रोज देखा करती थी । अंजू से उस दिन सुकुमार काफी देर तक बातें करता रहा था और फिर दोनों एक दूसरे का मोबाइल नंबर लेकर मुस्कुराते हुए फिर कभी भेंट मुलाकात का वायदा करके अलग हो गये थे।
सुकुमार फैक्ट्री से घर लौटने के बाद थोड़ी देर तक म्यूजिक सुनता है और न्यूज सुनने के बाद थोड़ी देर तक शराब सिगरेट पीने की आदत भी उसे लग गयी है और वह इसी समय हिंदी की साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं को भी पढ़ता है और कविताएं भी लिखा करता है। सुकुमार को यह सब करते हुए अक्सर ऐसा लगता है कि समाज और जीवन से इस दरम्यान वह एक विमर्श और संवाद की प्रक्रिया में संलग्न होता है और यह वक्त उसके सामने किसी आईने की तरह चमकता दिखाई देने लगता है। सुकुमार को कविता लेखन से कालेज के समय से ही लगाव रहा है और उसने वहां कई बार काव्य गोष्ठियों का भी आयोजन किया था और किसी दिन अंजू ने फोन पर उससे पूछा भी था कि क्या तुम अब भी कविताएं लिखते हो तो सुकुमार ने फिर उससे कहा था कि यह सब तुम्हें कैसे पता है तो उसने कभी कभार कालेज आयोजित होने वाली काव्य गोष्ठियों को याद किया था और कहा था कि वह किसी वजह से कालेज में अनुपस्थित होने के कारण उसकी गोष्ठी में शरीक नहीं हो पायी थी और उसकी कविताओं के बारे में अपनी सहेली तरंग से उसने सुना था। तरंग शादी के बाद अमेरिका चली गयी थी और वहां से टूरिस्ट एक्जीक्यूटिव के तौर पर अपनी कंपनी के द्वारा भारत में आयोजित होने वाले टूरिस्ट दौरों
में अब भी कभी कभार यहां आती रहती है। तरंग के बारे में अंजू ने सुकुमार को यह सब बताया था और कहा था कि वह जल्द ही भारत आने वाली है और फिर वह उससे उसे मिलवाएगी ।
सुकुमार ने अंजू को अगले संडे अपने फ्लैट पर भी बुलाया था और कहा था कि यह दिन कविता सुनने और सुनाने के लिए ही  होगा । यह सुनकर अंजू को हंसी आ गयी थी और उसने सुकुमार से पूछा था कि क्या इसके अलावा सारे दिन वह क्या और कुछ करना पसंद नहीं करेगा तो सुकुमार को भी हंसी आ गयी थी और उसने उसे कहा कि " ह्वाय नाट इट्स आल डिपेंड्स आन अस ...ह्वाट वी वांट टू डू...
उस दिन अंजू सुकुमार की इन बातों को सुनकर 
 हंसते -हंसते  लोट-पोट हो गयी थी। उन्हीं दिनों जब तरंग अमेरिका से दिल्ली आई थी तो अंजू ने तरंग को सुकुमार से मिलवाया था और इस दिन वह मन के सहज स्पंदन की चर्चा करते हुए उसने उसे यह भी कहा था कि कविता में आदमी के जीवन की सच्चाई को देखना जानना जितना सहज होता है यह उतना ही कठिन भी होता है और उन्हीं दिनों जब तरंग अमेरिका से दिल्ली आई थी तो अंजू ने तरंग को सुकुमार से मिलवाया था और इस दिन वह तरंग को लेकर सुकुमार के घर पर आयी थी । इसके बाद अंजू किसी से मिलने वह रात में रोज मम्मी को कहकर शाम ढलते ही सुकुमार के पास आ जाती थी और उसकी कविताओं को सुनने के अलावा सुकुमार की अन्य दूसरी बातें भी उसे बेहद अच्छी लगती थीं । इस दौरान तरंग ने अंजू को भी यह सब बताया था और कहा था कि वह उसे बिल्कुल भी नहीं जानती है लेकिन जब तक दोनों साथ हैं तब तक इस दोस्ती की बातें झूठी नहीं कही जा सकती हैं । अमेरिका में पति से तलाक के बाद तरंग के लिए दोस्त ही उसके सबसे बड़े सहारे बन गये थे और वहां भारतीय लड़कों से उसकी दोस्ती बिल्कुल भी नहीं हो पाई थी और सन्नाटे से घिरे उसके मन में सुकुमार सुख, शांति और प्रेम के मीठे झोंकों की तरह आया था और अंजू ने भी इन दोनों को बिल्कुल एक दूसरे की बांहों में अकेला छोड़ दिया था और उसे लगता रहा कि शायद अकेलेपन से घिरे इन युगलों के जीवनतट पर जिंदगी की इस यात्रा में कभी किसी सुबह सूरज दिखाई दे और एक नये जीवन की शुरुआत हो । दो महीने के बाद तरंग अमेरिका जा रही थी और उसने सुकुमार को अपना कविता संग्रह प्रकाशित होने के बाद भेजने के लिए कहा था। हवाई अड्डे से लौटते हुए सुकुमार की सांसों में तरंग के सांसों की महक समाई हुई थी और उसने फैक्ट्री से साल भर के कार्य अनुबंध की समाप्ति के बाद तरंग को अमेरिका आने और फिर वहीं रहने की बात उसे कही थी और हवाई जहाज की खिड़कियों से नीले आसमान के नीचे उड़ते बादलों को निहारती हुई तरंग को अपना देश यहां सुकुमार जैसे उसके दोस्त याद आ रहे थे।


राजीव कुमार झा 
एम.ए.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रशांत किशोर की बातों से ग्रामीणों में आया जोश, बारिश में भींग-भींगकर सभा में भाग लिया

प्रशांत किशोर की बातों से ग्रामीणों में आया जोश, बारिश में भींग-भींगकर सभा में भाग लिया  सहरसा  प्रशांत किशोर ने लालू-नीतीश पर किया तंज, बोले- बिहार में तो दो ही दल है, एक लालू जी का लालटेन और दूसरा मोदी जी का भाजपा, नीतीश जी का पता ही नहीं कि कब वे लालटेन पर लटकेंगे और कब कमल के फूल पर बैठ जाएंगे। जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने सहरसा के सोनबरसा ब्लॉक से पदयात्रा शुरू कर दी है। बारिश में भींग-भींगकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। प्रशांत किशोर की बातों और भाषणों से लोग इस कदर प्रभावित हैं कि बारिश में भींग-भींगकर पदयात्रा में उनके साथ कदम से कदम मिला रहे हैं। प्रशांत किशोर ने लालू-नीतीश पर तंज कसते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि हमारे पास विकल्प ही नहीं है, हम किसको वोट दें? बिहार में तो दो ही दल है, एक लालू जी का लालटेन और दूसरा मोदी जी का भाजपा। नीतीश जी का पता ही नहीं कि कब वे लालटेन पर लटकेंगे और कब कमल के फूल पर बैठ जाएंगे? हमने ये संकल्प लिया है अगर भगवान ने हमें जो बुद्धि, ताकत दी है, लोग कहते हैं हम जिसका हाथ पकड़ लें, वो राजा हो जाता है। तो इस

उत्पाद पुलिस ने भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद के साथ एक तस्कर एवं 15 शराबी गिरफ्तार ।

उत्पाद पुलिस ने भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद के साथ एक तस्कर एवं 15 शराबी गिरफ्तार । बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद भी आए दिन शराब की बड़ी खेप को पुलिस ने किउल रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में छापेमारी कर बरामद करते हुए एक तस्कर को गिरफ्तार किया। पुलिस इन तस्कर पर कार्रवाई कर भारी मात्रा में विदेशी शराब को बराबर किया। गिरफ्तार तस्कर पटना जिले के नदी थाना क्षेत्र के अंतर्गत जेठुली निवासी रघुवंश राय के पुत्र राजेश कुमार को गिरफ्तार किया।। ग़ौरतलब है कि बिहार में अक्सर पड़ोसी राज्यों से आ रही शराब की खेप को बरामद किया जाता है।  वही उत्पाद सबइंस्पेक्टर गुड्डू कुमार ने बताया कि किउल रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में छापेमारी के दौरान 75 लीटर अवैध कैन बियर एवं 27 लीटर रॉयल स्टेग विदेशी शराब जप्त किया गया। साथ एक तस्कर एवं तीन थाना क्षेत्रों से 15 शराबियों को गिरफ्तार किया उन्होंने बताया कि सभी आरोपियों के खिलाफ उत्पाद अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए बुधवार को जेल भेजा गया है।         अभय कुमार अभय की रिपोर्ट 

साहित्य संसार: साक्षात्कार

कवि और कलाकार अशोक धीवर "जलक्षत्री "छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में  स्थित तुलसी ( तिलदा नेवरा ) के निवासी हैं।   इन्होंने  दहेज प्रथा और समाज में कन्याओं की दशा के अलावा अन्य सामाजिक बुराइयों के बारे में पुस्तक लेखन और संपादन का काम किया है। मूर्तिकला में भी इनकी रुचि है।  यहां प्रस्तुत है ,  प्रश्न:आप अपने घर परिवार और शिक्षा दीक्षा के बारे में बताएं? *उत्तर:मेरा बचपन बहुत ही गरीबी में बिता। मेरे माता-पिता ने अपने नि:संतान चाचा- चाची के मांगने पर मुझे दान दे दिए थे। अर्थात् उन लोगों ने गोद लेकर मेरा परवरिश किया। तब से वे लोग मेरे माता-पिता और मैं उनका दत्तक पुत्र बना। इसलिए बचपन से ही मैंने ठान लिया था कि, जिसने अपने कलेजे के टुकड़े का दान कर दिया। उनका भी मान बढ़ाना है, सेवा करना है तथा जिन्होंने अपने पेट का कौर बचाकर मेरा पेट भरा, उनका भी नाम तथा मान बढ़ाना है। सेवा करना है। गरीबी के कारण दसवीं तक पढ़ पाया था। व्यावसायिक पाठ्यक्रम के तहत बारहवीं उत्तीर्ण किया। उसी समय मैंने सोच लिया था कि आगे बढ़ने के लिए कम पढ़ाई को बाधक बनने नहीं दूंगा और जो काम उच्च शिक्षा प्र