खुद के दम पर भोजपुरी सिनेमा में नारी सशक्तिकरण की पहचान बनी है बीना पांडेआमतौर पर भोजपुरी सिनेमा में यह आरोप लगता है
कि इसके कलाकार अंगूठा छाप होते हैं पर भोजपुरी सिनेमा में चरित्र अभिनेत्री के रूप में अपनी सशक्त पहचान बनाने वाली बीना पांडे ने बा तक की पढ़ाई की है
उम्र के 40 में पायदान पर पहुंच चुकी बिना पांडे जितनी उत्कृष्ट कलाकार हैं उतनी ही बेहतर इंसान भी है इन्होंने हिंदी में भी मृदंग माया द राइजिंग का सुदर्शन जैसी फ़िल्में की है साथ ही साथ भोजपुरी में जिला चंपारण कुली नंबर वन सर्च मिरदंग एक प्रेम कहानी सैया थानेदार प्रेम युद्ध आए हम बाराती मिंटू की नई कैसे हो जाला प्यार चांदनी नैहर के चुनरी बन जा तू मेरी रानी सिंहासन इश्क मेरा भारत महान प्रेम विवाह लव vivah.com राजा की आएगी बरात हमार स्वाभिमान आशिकी रोटी हमार लक्ष्मी बिटिया जैसी फिल्मों में काम किया।भोजपुरी के साथ ही साथ अंग्रेजी बंगाली और हिंदी पर भी उनकी जबर्दस्त पकड़ है। मूल रूप से बिहार की रहने वाली बीना पांडे का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ बचपन से ही अभिनय का शौक रहा पर यह शौक शादी के बाद ही पूरा हो सका जब इन्हें पहली बार हिंदी के कई सारे प्रोजेक्ट में काम करने का मौका मिला
बिहार से जुदा होने के कारण भोजपुरी भाषा से भी लगाव था इस कारण से भोजपुरी सिनेमा के तरफ रख किया और भोजपुरी सिनेमा में देखते-देखते तीन दर्जन फिल्मों का आंकड़ा भी पूरा कर लिया।बीना पांडे ने खुद के संघर्ष के बल पर भोजपुरी सिनेमा उद्योग में अपनी बड़ी पहचान बनाई जिसमें उनके पति का योगदान सबसे ज्यादा रहा। विवादों से दूर रहने वाली बीना पांडे मानती है कि भोजपुरी सिनेमा को बेहतर स्थिति में ले जाने के लिए भोजपुरिया दर्शन श्रोताओं कलाकारों निर्माता निर्देश को सबको मिलकर काम करना होगा अपनी चीजों में सिर्फ खामी निकलने से आप बेहतर चीज है
सामने नहीं रख सकते बेहतर कलाकार होंगे बेहतर कहानी होगी बेहतर फिल्म बनेगी तो बेहतर दर्शन भी होने चाहिए सिनेमाघर की बदहाल स्थिति के कारण भोजपुरी सिनेमा को जो कमाई करना चाहिए वह नहीं कर पाती इस कारण से बड़े बजट की फिल्में नहीं बन पाती हैं।
बलराम कुमार 9472535383
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