बिहार के लखीसराय में छठ पूजा के दिन प्रेम प्रसंग में गोलीबारी और हिंसा की वारदात
वर्तमान में प्रेम प्रसंगों में समाज के तमाम तबकों के लोग शामिल दिखाई देते हैं और यहां प्रेम अपनी सहजता सरलता से दूर मौकापरस्ती मतलब और भरोसे से दूर जिंदगी की जटिल पहेली का रूप भी ग्रहण करता सामने आ रहा है। लखीसराय की घटना के विवेचन से अब यह सब बातें सामने आ रही हैं । यहां प्रेम में विश्वासघात से लड़के ने लड़की और उसके परिवार के लोगों के प्रति भयानक नाराजगी में हिंसा के जघन्य कृत्य को अंजाम दिया है। लखीसराय पिछड़ा और दलित बहुल शहर है। यहां इस समुदाय के लोग सीधे सादे गरीब लोग हैं और सबसे प्रेम विश्वास की आशा करते हैं।
प्रेम के झांसे में मैथिल ब्राह्मण लड़की के द्वारा दुसाध लड़के से पैसा ऐंठना और और उसे प्रेम में बेवकूफ बनाना
प्रेम कांफ्रेंस में लखीसराय के किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दुसाध लड़के और ब्राह्मण लड़की के बीच प्रेम प्रसंग में लड़की और उसके परिजनों के साथ लड़के के द्वारा की गयी हिंसा की भयावह वारदात को जातीय दृष्टि से देखने से मना किया है और यह सही है। लड़की ब्राह्मणोचित जीवनादर्शों से बेहद दूर के जीवन को व्यतीत कर रही थी और उसने खूब रुपये पैसे लड़के से ऐंठे थे , पुलिस अधिकारी ने इस मामले के अनुसंधान में इन तथ्यों का खुलासा किया है। इस प्रसंग से किसी भी मैथिल ब्राह्मण का कोई मतलब नहीं है। जो लोग इसमें लिप्त हैं, यह उनके जीवन के लिए भी दुखद है।इस पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पुलिस इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी और उनका आशय इस मामले में केस फाइल से है। दिल्ली में एक कायस्थ लड़की जो गया की थी और जेएनयू में पढ़ती थी उसने मेरे एक भूमिहार मित्र से जो नवादा के पास के किसी गांव के थे उनसे खूब पैसे ऐंठे और सोने की चूड़ियां तक उनके पैसों से खरीदी थी और फिर रेलवे में ऊंची नौकरी मिलने पर उन्हें छोड़कर चली गई थी और मेरे मित्र मानसिक रूप से विचलित हो गये थे। उन्हें मैंने और एक मुसलमान लड़का जो उनका मित्र था, हमलोगों ने ढांढ़स दिया था।उस लड़की ने मेरे मित्र को एनल सेक्स की आदत भी डाल दी थी। जातीय भाव से ऐसे विषयों का विवेचन अनुचित है। पटना भी व्यभिचार का अड्डा बन चुका है।
लखीसराय गोली कांड के घायलों का इलाज विजय कुमार सिन्हा पटना एम्स में करवाएं
विजय कुमार सिन्हा जब पटना के पीएमसीएच में लखीसराय के प्रेम प्रसंग में घायल परिवार के लोगों से मिलने जब गये तो उन्हें घायल लोगों के शरीर से अब तक गोली नहीं निकलने की बात मालूम हुई और उन्होंने बिहार सरकार की निंदा की है। घायल लोगों के शरीर से कई बार डाक्टर बाद में भी गोली निकालते हैं। यह डाक्टरों का मामला है और इसमें राजनीति से विजय कुमार सिन्हा अगर थोड़ा अगर दूर रहें तो यह ज्यादा मुनासिब होगा। सारी बातें उनके हिसाब से नहीं होंगी और अगर गोली निकालना जरूरी है तो पटना एम्स में वह केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के मार्फत घायलों की गोली निकलवा दें। पीएमसीएच में इलाज का अपना तरीका होता है और यहां आदमी का इलाज हो जाता है। अभी सर्जन नहीं होगा। राज्य के जिला और प्रमंडलीय अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहते हैं। मंगल पांडे के समय से यह सब चल रहा है। यहां सर्जन अगर हैं भी तो वे कुशल नहीं हैं और बंध्याकरण आपरेशन में लगे रहते हैं।
प्रेम में पुलिस की निगरानी
लखीसराय में प्रेम का प्रचलन है और यहां बालिका विद्यापीठ में जब मैं शिक्षक के तौर पर काम करता था तो स्थानीय स्तर पर आने वाले यहां के युवा शिक्षक अपने प्रेम के बारे में बताया करते थे लेकिन प्रेम से संबंधित उनकी बातों में मुझे परिपक्वता की कमी प्रतीत होती थी। प्रेम ऊंचे मनोभावों से जुड़ा विषय है और इसमें असफलता या अलगाव का योनि में पिस्तौल से गोली मारने की सोच का कोई स्थान नहीं है यह बात लखीसराय के युवकों और युवतियों को कौन समझाए या बताए।
बाद में कई सालों के बाद फिर जब मैं यहां डीपीएस में पढ़ा रहा था तो पास के गांव लालदियारा के एक लड़के ने अपनी प्रेमिका को उसके द्वारा अपनी पिटाई के गुस्से में पिस्तौल से पकड़ कर मार डाला। लड़की ने शायद मजनू बने लड़के को आजिज आकर चप्पल से पीटा था। गुस्से में घटित ऐसे वाकये में पुलिस लड़कों को नहीं छोड़ती है और दस पन्द्रह बीस साल के लिए जेल भिजवा देती है। प्रेम के नाटक पर नजर रखने का अधिकार भी पुलिस को मिलना चाहिए क्योंकि इसे व्यक्तिगत किस्म की बात माना जाता है और पुलिस की निगरानी लोग नापसंद करते हैं।
अवैध हल्के आग्नेयास्त्रों का प्रचलन और लोगों का पागलपन
बिहार सरकार को या लखीसराय पुलिस को यहां छह लोगों की हत्या की वारदात के लिए भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा द्वारा दोषी ठहराया जाना उनके मानसिक दिवालियापन को प्रकट करता है और पुलिस को सिर्फ हथियार के मामले में ही कुछ कहा जाना चाहिए। अवैध हथियार ऐसी वारदातों में लोगों को आसानी से मिल जाते हैं। एके 47 के अलावा पास का शहर मुंगेर अन्य हल्के अवैध आग्नेयास्त्र के निर्माण का भी केन्द्र है। यहां अक्सर
पुलिस इनकी फैक्ट्रियों का उद्भेदन करती रही है।
पागलपन करने वाले लोग शायद यहां से हथियार आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।
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