आखिर अयोध्या के मुद्दे पर आम सहमति कैसे कायम हो गयी?
सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा हो रही है कि
इस बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में बिहार विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त नहीं कर पाएंगे। तेजस्वी यादव ने खुलेआम नीतीश कुमार को उनकी पार्टी के
विधायकों को सदन में विश्वास मत पाने के दौरान
जदयू के काफी विधायकों को बरगला कर सदन में मतदान के दौरान अनुपस्थित कराकर बिहार की राजनीति में नयी सरकार के गठन की प्रक्रिया में अवरोध कायम करने की धमकी दी है। यह अनुचित है। ज्ञातव्य है कि नीतीश कुमार ने भाजपा
के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बीच में लालू प्रसाद ने उनको बहकाकर भाजपा गठबंधन के साथ उनकी तत्कालीन सरकार को गिराकर कुछ दिनों तक तेजस्वी यादव को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनवाकर अपना उल्लू सीधा किया था। आखिर नीतीश कुमार के पीछे लोग क्यों लगे हैं? भ्रष्टाचार से उनका कोई संबंध नहीं है। इस मामले में नीतीश कुमार अन्ना हजारे से भी बेहतर व्यक्तित्व माने जा सकते हैं। भाजपा शासन के दौरान देश में भ्रष्टाचार काफी दूर हुआ है । हेमंत सोरेन के बाद अरविंद केजरीवाल को भी नरेन्द्र मोदी सरकार गिरफ्तार करना चाह रही है। पाकिस्तान में इमरान खान को भी इस मामले में पकड़ा गया है। सारी दुनिया में भ्रष्टाचार आज प्रमुख मुद्दा है। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस राहुल गांधी का कोई देशव्यापी धूम-धड़ाके का दौरा आयोजित नहीं कर पा रही है। सरकार से बेदखल होने के बाद कांग्रेस के पास शायद रुपए पैसे की भी कमी हो गई है। अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन समारोह में अमिताभ बच्चन के अपने बेटे के संग उपस्थित होने से भाजपा को फायदा हुआ है। सारे लोगों को याद है कि बोफोर्स दलाली मामले में अपने नाम की चर्चा शुरू होते ही अमिताभ बच्चन ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बाद में अमर सिंह के साथ यूपी में वह समाजवादी पार्टी की राजनीति में शामिल रहे । इस पार्टी ने जया बच्चन को अपने टिकट पर राज़्यसभा का सदस्य बनाया। आगे मुसलमानों के साथ समाजवादी पार्टी की सांठगांठ भाजपा की राजनीति की यहां सफलता का आधार बनती चली गई । राममंदिर अब सांप्रदायिक प्रसंग नहीं रह गया है। इस समारोह में अभिजात्य पृष्ठभूमि के काफी मुसलमान भी शामिल होना चाहते थे। अयोध्या की गरिमा कायम हुई है। यह अनुचित भी नहीं है लेकिन हिन्दू उदारवादी हैं और वह मुसलमानों को साथ लेकर अपने राष्ट्र को संगठित करना चाहते हैं। क्या हम आगे भी भ्रष्टाचार से दूर होकर आपस में सहमति कायम करेंगे। नीतीश कुमार के द्वारा बिहार में नयी सरकार के गठन की कोशिश एक ऐसी ही घटना है।
राजीव कुमार झा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें