गरीबी से निकलने के तीन रास्ते हैं, पढ़ाई, जमीन और पूंजी, बिहार में ज्यादातर लोगों के पास तीनों में से कोई उपलब्ध नहीं है: प्रशांत किशोर
सहरसा जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि दुनिया में जितने विद्वान हुए उन्होंने बताया कि गरीबी से निकलने के तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता है पढ़ाई, अगर आपका बच्चा पढ़ लिखकर नौकरी पा जाए तो उसकी गरीबी खत्म। दूसरा रास्ता है जमीन, अगर आपके पास जमीन है, तो खेती-किसानी करके भी गरीबी मिट सकती है। तीसरा रास्ता है पूंजी, अगर आपके पास पूंजी है, तो बिजनेस-व्यापार कर गरीबी को दूर कर सकते हैं। नौकरी चाहिए तो उसके लिए बढ़िया पढ़ाई होनी चाहिए, खेती करनी है तो उसके लिए जमीन होनी चाहिए और बिजनेस व्यापार करना है तो उसके लिए पूंजी होनी चाहिए। आप अपने गांव में देखिएगा, तो पता चलेगा कि यहां पर रहने वाले ज्यादातर लोगों के पास तीनों में तीनों चीज नहीं है। यहां जो गरीब हैं उनके पास पढ़ने की व्यवस्था ही नहीं है। बच्चे स्कूल गए वहां खिचड़ी खाकर चले आते हैं। जो पैसे वाले हैं वो अपने बच्चों को प्राइवेट में कोचिंग-ट्यूशन दिलवाते हैं। उनको भी नौकरी नहीं मिल रही है, ऐसा इसलिए कि भले ही आपने उसे प्राइवेट स्कूल में पढ़ा दिया लेकिन कॉलेज के लिए उसे सरकारी कॉलेज में ही जाना पड़ेगा।
पंजाब-हरियाणा के लोग राजा हो गए कि पूरे बिहार के लोग वहां जाकर मजदूरी कर रहे हैं: प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश-लालू के इस बिहार में स्कूल से खिचड़ी बंट रही है और कॉलेज से डिग्री। पढ़ाई दोनों में कहीं नहीं हो रही है। जब आपका बच्चा पढ़ेगा ही नहीं तो कोई विधायक बने, कोई मंत्री बने, कोई सांसद बने या कोई मुख्यमंत्री बने, आपके अनपढ़ बच्चे को कोई भी दुनिया में डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर नहीं बना सकता है। उसे जिंदगी भर मजदूरी ही करनी पड़ेगी। तो पढ़ाई और नौकरी का दरवाजा ज्यादातर परिवार के बच्चों के लिए बंद है। दूसरा रास्ता है खेती, खेती करके पंजाब-हरियाणा के लोग राजा हो गए कि पूरे बिहार के लोग वहां जाकर मजदूरी कर रहे हैं। आपकी जिंदगी क्यों नहीं सुधरी? वो इसलिए यहां गरीब के नाम पर राजनीति हुई, समाजवाद की बात हुई, सामाजिक न्याय का नारा लगा, लेकिन गरीब को जमीन नहीं मिली। बिहार में रहने वाले 100 में 60 लोग ऐसे हैं जिनके पास जमीन है ही नहीं। तो वे खेती करेंगे कैसे? जो 40 व्यक्ति बच गए उसमें 35 लोग ऐसे हैं जो 2 बीघा में खेती करते हैं। बिहार में लोग कमाने की खेती नहीं करते है, बल्कि खाने की खेती करते हैं। खेती करने वाले किसान जानते हैं कि अगर उनके घर में किसी की शादी करनी हो, कोई बीमार पड़ जाए तो एक-दो कट्ठा जमीन बेचे बगैर उपाय नहीं है।
प्रशांत किशोर ने कुल 8.5 किलोमीटर तक की पदयात्रा
प्रशांत किशोर ने बुधवार को कुल 8.5 किलोमीटर तक पदयात्रा की। इस दौरान उन्होंने सत्तर कटैया ब्लॉक में पदयात्रा की। सिहौल के हाई स्कूल मैदान से पदयात्रा शुरू कर वे सिहौल चौक, बिहरा, पटोरी, गंडौल, बाराशेर मैदान तक गए।
सहरसा से बलराम कुमार शर्मा की खास रिपोर्ट
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