गुरुपूर्णिमा के कार्यक्रम की तैयारी जोरों पर है | गुरुपूर्णिमा के लिए भव्य मंच का निर्माण हो रहा है |
पदमपुर सत्तर कटैया में स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में गुरुपूर्णिमा के कार्यक्रम की तैयारी जोरों पर है | गुरुपूर्णिमा के लिए भव्य मंच का निर्माण हो रहा है |
आश्रम में संस्थान के संस्थापक व संचालक दिव्य गुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी अनुयायी शिष्य अलग अलग जगहों से आकर सेवा कार्यों में तत्परता से लगे हुए है | बच्चे, महिलायें, वृद्ध तथा युवा सब अपने-अपने सेवा को करने में तत्परता से लगे हुए दिखे | संस्थान के प्रभारी स्वामी यादवेन्द्रानन्द जी से भेंट वार्ता में स्वामी जी ने कहा की संस्थान गत चौबीस वर्षों से
आध्यात्मिक व सामाजिक कार्यों द्वारा समाज के नैतिक उत्थान के लिए कार्य कर रही है | संस्थान के द्वारा अभावग्रस्त बच्चों के लिए मंथन विध्यालय जो सम्पूर्ण विकास कार्यकर्म के तहत आयोजित किया जाता है जिसमें लगभग एक सौ पचास बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहें है | इन बच्चों के लिए निःशुल्क पुस्तक, दवाइयाँ तथा स्कूल ड्रेस प्रदान किया जाता है | यहाँ बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ साथ नैतिक व व्यावहारिक शिक्षा भी प्रदान किया जाता है | इस मंथन स्कूल का संचालन साध्वी श्रवाणी भारती अपने दस शिक्षकों के साथ करती है | स्वामी जी ने बताया की गुरुपूर्णिमा का कार्यक्रम संस्थान के श्रद्धालु संगतों द्वारा बड़े ही धूम-धाम से किया जाता है | संगतों के ठहरने के लिए स्थायी व अस्थाई आश्रय गृह है |
चूंकि यह भवन बिहार झारखंड का मुख्य शाखा है, इसलिए यहाँ सम्पूर्ण बिहार कुछ नेपाल, बंगाल व झारखंड की संगतें गुरुपूजा मनाने आती है | गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को है उसी दिन सभी का आना संभव नही होता है इसलिए संगतें एक दो दिन पहले से आने लगती है | इसलिए उनके रहने-ठहरने, स्नान-शौचदि की व्यवस्था स्थाई रूप से की गई है | कार्यक्रम संस्थान के स्थाई पंडाल में होगा जहां भीषण गर्मी को देखते हुए संगतों के लिए दो हेलिकाप्टर पंखा लगाया गया है जो पूरे पंडाल में ठंठी-ठंठी हवा देती है | एक प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वामी जी ने कहा की इस कार्यक्रम में हमारे दिल्ली स्थित मुख्य शाखा से दिव्य गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी विदुषी सुश्री श्यामा भारती जो एक रामकथा वाचिका भी है, आ रही है |
स्वामी जी से पूछने पर की संस्थान युवा वर्ग के लिए क्या कर रही है ? आज का युवा दिशाहीन हो गई है प्रतियोगी स्कूली शिक्षा के होड़ में युवाओं का जीवन अस्त व्यस्त हो नशा की ओर जा रहा है | उत्तर देते हुए स्वामी जी ने कहा की शिक्षा ज्ञान की प्राप्ति के लिए था | समाज का दुर्भाग्य है की आज बच्चे ज्ञान अर्जन के लिए कम नौकरी के लिए ज्यादा पढ़ते है और हमारे अभिभावक भी अज्ञानता में उसे ऐसा करने के लिए ही प्रेरित करते है | जो अभिभावक जीतने बड़े नौकरी करते है, अपने बच्चों से वही उम्मीद लगा बैठते है | बच्चों में हताशा का कारण, अभिभावक अपने बच्चों के क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा बैठते है | बच्चों में चारित्रिक विकास, उनके अंदर छिपी प्रतिभा को ढूँढना, उतरदायित्व की भावना, सामाजिक
अवधारणा आदि के विकास लिए बच्चों को आगे लाना होगा | मानव मूल्यों को समझाना होगा ताकि वो हीनभावना से ग्रसित न हों | इसलिए पूर्व में गुरुकुल शिक्षा पद्धति थी | यहाँ गुरुदेव के कृपा से बच्चों के लिए संस्कारशालाएं आयोजित की जाती है वहीं युवाओं के लिए बोध कार्यक्रम के तहत नशा मुक्ति कार्यक्रम भी चलाया जाता है | गुरुदेव के इसी चिंतन का एक रूप है युवा परिवार सेवा समिति | संस्थान से लाखों युवा इस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करके अपने अंदर छुपे प्रतिभा को निखार रहें है और समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रहें है | हमारे इस प्रकल्प को स्वामी सुकर्मानंद जी देखते है | स्वामी जी से पूछने पर की आज समाज में गुरुओं की बाढ़ आई हुई है आए दिन बाबाओं के कारनामे सामने आते रहते है | ऐसे मे लोग कैसे संत सद्गुरु के शरण में जाए ? स्वामी जी ने कहा की आपने उत्तम प्रश्न किया है | आप जैसे पत्रकार को ऐसे प्रश्न जरूर करना चाहिए | हमारे सनातन धर्म में या यूं कहें तो सभी धर्मों में गुरु शिष्य परंपरा रही है |
सूफी हो या बौद्ध या जैन सभी में गुरु का स्थान श्रेष्ठ माना गया है | हमारे रामचरितमानस जो घर-घर में पढ़ी जाती है साफ-साफ कहती है की गुरु बिन भव निधि तरई न कोई जों बिरंचि शंकर सम होई | यानि गुरु के बिना किसी का भी कल्याण संभव नही है | आपने कई बार सुना होगा की मोक्ष मुलं गुरू कृपा | हम छोटे से छोटे कार्य को सीखते है तो गुरु, शिक्षक की आवश्यकता पड़ती है फिर इस जीवन को समझने के लिए गुरु की आवश्यकता क्यूँ नहीं है | अब आपका प्रश्न है की गुरु को कैसे पहचाने | जितने भी संत-सद्गुरु इस संसार में आते है वह संत की पहचान बताते है | सद्गुरु की पहचान बताते हुए संत कवीर कहते है की – सद्गुरु कृपा अनंत अनंत, किया उपकार | लोचन अनंत उघारिया, अनंत दिखावण हार | यानि गुरु कृपा करके विषय सुख में लिप्त शिष्यों की आँखें खोल उसके घट में ज्ञान की ज्योति प्रवाहित कर घट भीतर ईश्वर के प्रकाश स्वरूप का दर्शन करा देते है | भगवान शिव कहते है की अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानान्जनशालकया चक्षुरून्मीलितं येन तस्मै श्री गुरुवै नमः || ऐसे गुरु को प्रणाम करता हूँ जिसने अज्ञान की अंधकार में बंद हुई आँखें खोल दिया | आप कहीं जाएं अपनी कसौटी को ले कर जाएं जिससे आपकी श्रद्धा नष्ट न हो पाए | संसार में असल का ही नकल होता है इसलिए सावधानी की आवश्यकता है |
अंत में आप भक्तजनों को क्या संदेश देना चाहेंगे ? स्वामी जी - इस गुरु पूर्णिमा पर सभी साधक अधिक से अधिक ध्यान साधना द्वारा अपनी आध्यात्मिक उन्नति करें | यह अवसर मिला है इसका लाभ लें | आप के माध्यम से इस गुरुपूर्णिमा की सभी भक्तों को हार्दिक शुभकामनाएं | आप सब अधिक से अधिक संख्या में इस गुरुपूर्णिमा के अवसर पर पदमपुर स्थित आश्रम में आए ओर अपनी आध्यात्मिक उन्नति करें | इस अवसर पर स्वामी कपिलदेवनन्द, संजय, अरविन्द, अजित, अंकित, बालेश्वर यादव, शंकर शर्मा, धोनी स्वर्णकार, शत्रुघ्न चौधरी, विधानचन्द्र राय, पुनीत साह, चेतन सिंह आदि बहुत से भक्तजन उपस्थित थे |
सहरसा से बलराम कुमार शर्मा की खास रिपोर्ट 9472535383
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें