तस्वीरों में जो साथ नजर आ रहे हैं उनका नाम है ऋषि सिंह बिहार के जमुई जिले के रहने वाले आज से 15 साल पहले महज 265 रुपए का जुगाड़ कर रोजी रोजगार की तलाश में दिल्ली की तरफ ट्रेन की सामान्य बोगी में धक्का खाते पहुंचे थे बिहार के आम युवाओं की तरह स्नातक तक की डिग्री प्राप्त की थी कई सारे सपने थे। माता-पिता के अरमान थे बहन के हाथ पीले करने का सपना था ढहे घर को पक्का मकान बनाने का इरादा था छोटे भाइयों के पढ़ाई बेहतर कैसे हो इसकी चिंता थी दर्द तो ऋषि का था पर इसमें पूरा बिहार का वह युवा समाहित था जिसके साथ आमतौर पर इतने सारे जिम्मेवारियों के बोझ जवान होते-होते कंधे पर आ ही जाते हैं। घर का बड़ा बेटा सिर्फ बड़ा बेटा नहीं होता वह पूरे घर का सपना अपने आंखों में लेकर कमाने निकलता है। उम्र से पहले ही परिपक्व हो जाता है हालातो से समझौता करने लगता है दिन-रात हर तोड़ मेहनत करता है उसकी आंखों में पलते हैं बूढ़े माता-पिता के सपने जवान हो चुकी बहन की शादी का दर्द छोटे भाई बहनों के पढ़ाई की चिंता घर परिवार पर चढ़ चुके कर्ज का बोझ उतारने की जिम्मेवारी। इतने सारे बोझ को लेकर वह दिल्